हिंद की चादर" श्री गुरु तेग बहादुर जी


                                              




जन्म से ही परोपकारी , शांत और सौम्य स्वभाव तथा त्याग जैसे अद्वितीय और असाधारण व्यक्तित्व से संपन्न गुरु तेग बहादुर जी का संपूर्ण जीवन वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है। सर्वप्रथम तो समूचे विश्व में एकमात्र,अनोखी,अलौकिक “न भूतो ना भविष्यति” ऐसी गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को कोटि-कोटि नमन। अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने समाज के लिए, अपने धर्म के लिए बलिदान देना संसार की एक सामान्य घटना हो सकती है। लेकिन किसी दूसरे के धर्म की रक्षा और मानवता की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान देना एक अत्यंत अनोखी घटना है। उस समय भारत में मुगल साम्राज्य का शासक औरंगजेब था। उसने तलवार के बल पर लोगों का जबरन धर्मांतरण शुरू कर दिया था। इसकी शुरुआत कश्मीर से हुई थी। इन अत्याचारों से पीड़ित कश्मीरी ब्राह्मणों का एक समूह पंडित कृपा राम के नेतृत्व में आनंदपुर में श्री तेग बहादुर जी के पास आया। उन्होंने गुरु जी को हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की दुखद कहानी सुनाई। गुरु तेग बहादुर जी अपनी समस्या पर विचार कर रहे थे, उसी समय गोविंद राय (गुरु गोबिंद सिंह) खेलकर लौट आए थे। बेटे ने अपने पिता से पूछा, "पिताजी , क्या समस्या है जो आप इतना चिंतित है?" गुरुजी ने कश्मीरी पंडितों की दुखद व्यथा को बताया।बालक गोविंद राय ने पिताजी से फिर पूछा कि इनकी समस्या का समाधान क्या है? गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि यदि कोई धर्मपरायण व्यक्ति अपना बलिदान दे दे, तो वे बच सकते हैं । यह सुनकर नौ वर्षीय गोविंद राय ने निडर होकर कहा, "पिताजी , इस समय आपसे अधिक धर्मपरायण कौन होगा?" तब गुरुजी ने दुखी पंडितों से कहा कि वे औरंगजेब से कहें कि यदि गुरु तेग बहादुर जी अपना धर्म बदल लें, तो हम सब अपना धर्म बदल लेंगे। जब यह संदेश औरंगजेब तक पहुँचा, तो उसने गुरु तेग बहादुर जी को कैद करके दिल्ली लाने का आदेश दिया। जब गुरुजी दिल्ली पहुँचे, तो उनके साथ तीन सिख, भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला थे।गुरु तेग बहादुर जी को धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिए गए धमकाया गया । जब वे नहीं माने तो उनके मन में मृत्यु का भय उत्पन्न करने के लिए भाई मतिदास जी को लकड़ी के घेरे में बाँधकर आरी से दो टुकडों में चिरवाया गया । भाई दयाला को उबलती देग में डालकर शहीद कर दिया गया। भाई सतीदास जी को रुई में लपेटकर आग लगा दी गई। अपने प्रिय सिक् खों को अपनी आँखों के सामने शहीद होते देखकर भी गुरु जी अपने निर्णय से पीछे नहीं हटे। औरंगजेब के अत्याचारों के भय से उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया। जब औरंगजेब अपने सभी प्रयासों में पराजित हो गया, तो अंततः उसने गुरु तेग बहादुर जी को मार डालने का आदेश दिया। गुरु तेग बहादुर जी नवंबर 1675 को चांदनी चौक, दिल्ली में शहीद किया गया। आज भी चांदनी चौक, दिल्ली स्थित शीशगंज गुरुद्वारा हमें गुरु जी के अद्वितीय बलिदान की याद दिलाता है। 

                                           गुरु तेग बहादुर जी की इस शहादत को बहुत गहरे अर्थों और भावों में देखने की आवश्यकता है । सर्वप्रथम तो गृहस्थ जीवन में संसारी बनकर त्याग की भावना बहुत उच्च स्तर को दर्शाती है। गुरु तेग बहादुर जी ने अपने परिवार का मोह और समस्त भौतिक स्वार्थ का त्याग कर दिया। और अंत में उन्होंने अपने शरीर का भी बलिदान कर दिया। मानवता के लिए, तत्कालीन समाज की धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध, दूसरों के धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुरजी की यह शहादत विश्व की अनोखी घटना है। इस प्रकार भारत की धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा प्रमाण गुरु तेग बहादुरजी की शहादत है। उन्होंने अपना बलिदान देकर यह सिद्धांत स्थापित किया कि शासक या सरकार को आम आदमी के धार्मिक जीवन में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने सिद्ध किया कि धर्म जोर- जबरदस्ती या डर का सौदा नहीं है। धर्म विशुद्ध प्रेम का मार्ग है। संपूर्ण सिख धर्म निस्वार्थ भाव से इन मानवीय मूल्यों का समर्थन करता है और इसी मार्ग पर चलता है।  

   सच्चे अर्थों में, गुरु तेग बहादुरजी ने गुलामी और धार्मिक वैमनस्य व कट्टरता के युग में सर्वप्रथम धार्मिक स्वतंत्रता का ध्वज फहराया। इसी कारण गुरु तेग बहादुरजी को ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है। इतना ही नहीं वे ‘धर्म और मानवता की चादर’ भी कहलाए जाते हैं। गुरु तेग बहादुर जी ‘समूचे सृष्टि की चादर’ कहलाए जाते हैं। आज संपूर्ण विश्व में गुरु तेग बहादुर जी के 350 वें शहीदी गुरपुरब को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है । गुरु तेग बहादुर जी की इस अनुपम शहादत को कोटि-कोटि नमन । 

  • प्रो. डॉ. परविंदर कौर महाजन कोल्हापुरे
  •  हिंदी विभागाध्यक्ष
  •  नेताजी सुभाष चंद्र बोस  महाविद्यालय  हजूर साहिब नांदेड़
  •                                                                                                                           मो.नं. – 9422149208 


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