सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड सिखों की सर्वोच्च पवित्र धार्मिक संस्था होणे के कारण सरकार इस में हस्तक्षेप बंद करे - स.मनबीरसिंघ ब्रिजपालसिंघ सिंघ ग्रंथी (अध्यक्ष बाबा फतेहसिंघ सिंघ जी बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्था हजूर साहेब नांदेड



गुरुद्वारा बोर्ड अध्यक्ष चुनने का अधिकार स्थानिक सिख समाज का है सरकार का नही

नांदेड धरती दशमेशपिता साहेब श्री गुरू गोबिंदसिंघ जी महाराज के पावन चरणकमलो से पवित्र हुई धरती हैं यहाँ पर सिखों के पांच सर्वोच्च तख्तो में एक तख्त सचखंड श्री हुजूर अबचल नगर साहेब गुरुद्वारा हैं पिछले आठ सालों से महाराष्ट्र सरकार सिखों इस पवित्र गुरुद्वारा बोर्ड में हस्तक्षेप करके सिखों के धार्मिक अधिकारों का हनन कर रहें हैं तत्कालीन सरकार द्वारा सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड द्वारा कोई भी ठराव ना लेणे के बावजूद एवंम पंच प्यारे साहीबान द्वारा किसी प्रकार की मांग ना होणे पर भी इस पवित्र संस्था में हस्तक्षेप करणे की निय्यत से भाटिया समिती गठीत एवंम की जा रही यह स्थानिक सिख समाज पर अन्याय ही कहा जाना चाहिए ऐसा स. मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कहा गया आगे आपणें विचार प्रगट करते हुए उन्होंने यह भी कहा पिछले आठ साल पूर्व सन २०१६ से तत्कालीन भाजप सरकारने गुरुद्वारा बोर्ड अध्यक्ष चुनने का जो १७ सदस्यों का था वह अधिकार तत्कालीन सरकारने जानबुझकर कलम ११ में संशोधन करके वह अधिकार सिखों से छिनकर अध्यक्ष चुनने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार ने अपने पास रखणे के कारण स्थानीय सिख समुदाय मे सरकार के इस तानाशाही रवैयें के खिलाफ काफी रोष है सरकार के इस फैसले के खिलाफ उस वक्त से आजतक स्थानिक सिख समुदाय द्वारा आंदोलन,आमरण अनशन एवंम प्रदर्शन किया जारहा है मगर सिखों को कलम ११ में किया गया संशोधन रद्द करणे के सरकार द्वारा बार बार सिर्फ झुठे वादे किये जारहे हैं निजामकाल में रजाकारो के जुलमीराज मे इसी तरह स्थानिक सिखो पर आपणी मनमानीया चलाई गई सिखों के धार्मिक अधिकारों का हनन किया गया उस वक्त पंजाब से स्थानिक सिख समुदाय को संदेश भेजा गया था गुरुघरों को ताले मारकर मनमाड तक आ जाओं मगर उस वक्त स्थानिक सिख के वरिष्ठ पुर्वजों द्वारा आपने जान की बाजी लगाकर गुरुघर की मर्यादा एवंम पवित्रता और स्वतंत्रता को बचाया गया इस संघर्ष में स्थानिक सिख समुदाय के साथ ना ही मुंबई,पुणे,नागपुर, के सिख समुदाय के लोंगो सहयोग प्राप्त नही हुवा था ऐसा भी सरदार मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कहा गया इस वक्त उन्होंने आगे कहा के महाराष्ट्र सरकार भाटिया आयोग एवंम कलम ११ में किया गया संशोधन तत्काल रद्द करें और सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड में स्थानिक सदस्यों की संख्या तिन से बढाकर ०७ याफीर ०९ करें और गुरुद्वारा बोर्ड के चुनाव घोषित कर अध्यक्ष का चुनाव करणे का सर्वोच्च अधिकार स्थानिक सिख समुदाय को बहाल करे ऐसाभी सरदार मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कहा गया. महाराष्ट्र सरकार से हात जोडकर बैनती है ये जो कायदा जबरन हजुरी सिखो( दख्खन) पर दाला जा रहा है आने वाले समय मे इस विषय को लेकर भविष्य मे कोई घटना घटती है तो इस की जवाबदारी एवंम जिम्मेदार महाराष्ट्र सरकार रहेगा इस की गंभीरता से नोंद ले।__________________________


संचखड गुरूद्वारे के 1956 के कानुन में महाराष्ट्र सरकार बदलाव ला कर केवल तीन सदस्य को लोकतान्त्रिक तरीके चुनाव कर तथा बारा सदस्य सरकार द्वारा तथा बाकी सदस्य अन्य संस्था से नॉमिनेट कर के, पहले जैसा ही केवल 17 सदस्य का संचखड गुरूद्वारे का बोर्ड बनाने का मतलब शिख समाज के सर्वोच्च धार्मिक संस्था पर सरकार का हस्तक्षेप यह बहोत ही निंदनीय कदम तथा भारतीय संविधान ने दीये हुये लोकतान्त्रिक तरीके से सदस्य नियुक्त करके अधिकार से वंचित कर के अल्पसंख्याक सिख समाज पर बहोत बडा अन्याय है..जब के सिक्ख समाज की स्थापना ही अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने से हुई थी... 

राजेंद्र सिंघ शाहू इलेक्ट्रिकल ट्रैनंर नांदेड 7700063999

महाराष्ट्र सरकार द्वारा तारीख 5 फरवरी 2024 को मंत्रिमंडल बैठक में नांदेड़ स्थित गुरुद्वारा सचखंड बोर्ड नांदेड़ धार्मिक संस्था के लिए नया अधिनियम (कानून) बनाने के निर्णय को मंजूरी दी है. इस निर्णय का नांदेड़ के सिख समाज द्वारा विरोध किया जा रहा हैं. बोर्ड के 17 में से 12 सदस्यों की नियुक्ती महाराष्ट्र शासन के अधीन हो चलीं है जो लोकतांत्रिक मूल्यों का दमन हैं. अल्पसंख्यक सिखों की संस्था में सरकार का खुला हस्तक्षेप योग्य नहीं है और एक प्रकार का अन्याय है. यह नया अधिनियम तुरंत रद्द होना चाहिए.

रविंदरसिंघ मोदी,

वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी 

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